Bhamashah

Mataji Smt. Kela Devi Paliwal
Late Shri Ramgopal ji
Late Smt. Anusuiya Paliwal Firozabad (U.P.)
Shri Bijendra Dutt ji
Smt. Madhuri Devi Paliwal
Firozabad (U.P.)
Shri Shivdutt Paliwal
Firozabad (U.P.)
Shri Arun Paliwal
Firozabad (U.P.)
Shri Bijendra Prasad ji
Pushplata Paliwal
Nazafgarh (New Dehli)
Shri Bhanwarlal Ji
Smt. Kanku devi Paliwal
Bhilwara (Rajasthan)
Late Smt. Bhagwati Devi Paliwal
Bhilwara (Rajasthan)
Late Shri Gaurav Paliwal
Firozabad (U.P.)
Shri Suraj Prakash Ji Paliwal
Nazafgarh (New Dehli)
Shri Somesh Paliwal
Nazafgarh (New Dehli)

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History


सामूहिक विवाह समारोह की प्रेरणा


कभी-कभी कोई बात मन को छू जाती है और उससे जो अनुभूति होती है वह कुछ अकल्पनीय कार्य के निश्पादन की प्रेरणा बन जाती है। यही बात श्री सत्य नारायण पालीवाल, मुकाम-........., हाल निवास- कोटा(राज.) के साथ भी हुई।


हाड़ौती पालीवाल बा्रहम्ण हितकारी समिति के सचिवीय कर्तव्यों के निर्वहन के संदर्भ में ग्राम बसौली जिला-बूंदी में श्री रामस्वरूप जी पालीवाल की पुत्री के विवाह समारोह दिनांक 17.12.1996 के अवसर पर हाड़ौती क्षेत्र की परिचायिका-96 के वितरण के समय कुछ लोगों ने यह कहते हुए व्यंग्य किया कि परिचायिका प्रकाषन व वितरण तो सामान्य कार्य है, यदि करना है तो कुछ ऐसा करो जो अपने समाज की सुसुप्त चेतना को जाग्रत कर समाज में द्रुतगति से फैलती दहेज की विश-वेलि को नश्ट करने में सहायक हो।


ऐसी कौन सी विधि है? या कार्य है? जिसके करने से समाज में चेतना संचार हो। प्रष्न सामूहिक रूप से पूछा गया। सर्व श्री पुरुशोत्तम जी कोडीजा, हरदयाल जी मांगठला, रामेष्वर जी मांगठला, श्री गोपाल जी बरून्धनी, श्री हरदयाल जी काछोला, श्री रमेष चन्द्र जी गूढ़ा नाथावतान एवं श्री चांदमल जी बिजोलिया, श्री राधेष्याम जी जलिन्द्री आदि समाज-बंधुओं ने एक स्वर से कहा कि अन्य समाजों की तरह हमारे समाज के वयोवृद्धों यथा श्री मोहन लाल जी एडवोकेट षाहपुरा, श्री मथुरालाल जी सकतपुरा, श्री टेकचन्द जी कोडीजा, री जगन्नाथ जी बिछौर, श्री भागीरथ जी डिकेन, श्री नन्द लाल जी सिंगोली एवं श्री भगवानदत्त जी गुमानपुरा कोटा की दीर्घकालीन समाजसेवी भावना की पूर्ति करने हेतु सामूहिक विवाह समारोह के आयोजन का री गणेष क्यों न किया जाये? और यह विचार ही प्रेरणा का स्त्रोत सिद्ध हुआ।



विचार मंथन


इस विचार पर मंथन व समाज का समर्थन प्राप्त करने के लिए युवा साथियों श्री पुरुशोत्तम जी कोड़ीजा, श्री राजेन्द्र जी गुढ़ा के सहयोग से तथा वयोवृद्ध श्री मथुरा लाल जी व श्री भगवानदत्त जी के मार्गदर्षन से यह निश्कर्श सामने आया कि सर्वप्रथम विभिन्न क्षेत्रों के जाति बंधुओं से इस विशय पर विचार आमंत्रित किए जाएं साथ ही अभिभावको की स्वीकृति जोड़ा पंजीयन हेतु प्राप्त करने के लिए व्यक्तिगतरूप से संपर्क साधा जाए।


श्री रामेष्वर जी मांगठला ने अपनी बहिन एवं री हरदयाल जी ने अपनी पुत्री का विवाह सामूहिक विवाह के माध्यम से करने की स्वीकृति देकर समाजोपयोगी इस विचार को न केवल धरातल प्रदान किया बल्कि समाज के सामने समाजहित में अग्रणी किस प्रकार रहा जाता है, इसका अविस्मरणाीय अनुपम उदाहरण प्रस्तुत कर अन्य समाज बंधुओं का भी मार्ग प्रसस्त किया।


समाज बंधुओं को आम सभा के रूप में एक अपील द्वारा आमंत्रित कर दिनांक 4.1.97 षनिवार रात्रि 8.00 बजे ग्राम बिजोलियाॅं जिला-भीलवाड़ा(राज.) में श्री रामप्रसाद जी, श्री चांदमल जी ने समस्त बंधुओं का आथित्य स्वीकार कर आमसभा की स्वीकृति देकर समस्त व्यय भार वहन कर पूनीत विचार को पावन राह पर आगे बढ़ा कर साधुवाद के पात्र बने।


बिजोलिया बैठक के तुरंत पश्चात् एक अपील सामूहिक विवाह के प्रष्न पर विचार हेतु सभी पालीवाल बंधुओं को वितरित करने हेतु निकाली गई जिसे कार्यकर्ताओं ने प्राप्त कर विभिन्न षादी समारोहों एवं संगठनों के पदाधिकारियों के माध्यम से सम्पूर्ण भारतवर्श के पालीवाल बंधुओं को प्रसारित-प्रचारित करवाया।



सामूहिक विवाह समारोह आयोजन का निर्णय


बिजोलिया में सेठ सा0 श्री रामप्रसाद जी चांदमल जी के आतिथ्य में दिनांक 4 जनवरी 1997 को हुई बैठक का दिन स्वर्णिम अक्षरों में इसलिए दर्ज है क्योंकि इस दिन विभिन्न प्रांतों से 250 से ज्यादा पालीवाल बंधुओं ने उपस्थित होकर रात-दिन विचार-विमर्ष करके न केवल अपने अमूल्य सार्थक सुझावों से इस पुनीत विचार को सुदृढ़, परिश्कृत एवं परिमार्जित किया बल्कि श्री देवीलाल जी मलवासा (रतलाम) ने रुपये 5001/- का अनुदान देकर अनुदानदाताओं की श्रृंखला का ऐसा षुभारंभ किया कि एक लाख रुपये एकत्रित करने की घोशणाएं हुईं व जोड़ों को समानरूप से उपहार देने की घोशणाएं भी हुईं।


व्यवस्था हेतु समिति का ‘‘अखिल भारतीय पालीवाल ब्राह्मण सामूहिक विवाह आयोजन समिति’’ नामकरण किया जाकर आगामी दो वर्शों के लिए सर्व सम्मति से मनोनयन हुआ। जिलेवार कार्य को प्रगति देने हेतु जिलाध्यक्षों का भी मनोनयन हुआ।



सामूहिक विवाह समारोह आयोजन हेतु प्रयास


समारोह का सफलतापूर्वक आयोजन सुनिष्चित हो सके इस बाबत स्वयंसेवकों, कार्यकारिणी के सदस्यों एवं जिलाध्यक्षों को जोड़ों को तैयार करने, अनुदान संग्रह करने तथा विविध कार्यों को निश्पादित करने हेतु अधिकाधिक जन सहयोग प्राप्त करने हेतु विभिन्न दलों का गठन किया गया तथा प्रत्येक माह विभिन्न स्थानों पर किये कार्यों की समीक्षा तथा आगामी कार्यक्रमों का निर्धारण करने हेतु अलग-अलग जगहों पर समाज-बंधुओं के आथित्य में समिति की बैठकें आयोजित की गईं। कुछ अविस्मरणीय बैठकें व उनके आतिथ्यकर्ता निम्न रहेः-


बीकानेर में आयोजित हुए अखिल भारतीय पालीवाल ब्राह्मण संघ के अधिवेषन में श्री भगवानदत्त जी पालीवाल, कोटा ने प्रथम अखिल भारतीय पालीवाल ब्राह्मण सामूहिक विवाह आयोजन की विस्तृत जानकारी देते हुए संघ से आयोजन में षामिल होने का आग्रह किया। इसके साथ ही पूरे भारतवर्श में पालीवाल बंधुओं को निमंत्रण-पत्र भेजे गए। अंततोगत्वा एक 4 से 5 हजार पालीवाल बंधुओं के आषीर्वाद से 19 युगल परिणसूत्र में बंधे व समारोह का पूर्ण विधिविधान के साथ हर्शोल्लासमय वातावरण में सुखद आयोजन से समिति के कार्यकर्ताओं, स्वयंसेवकों एवं आतिथ्यकर्ताओं के अथक प्रयासों के बावजूद भी उनके चेहरों पर सफलता की आभा व विजयी मुस्कान झलक रही थी।