Bhamashah

माताजी श्रीमती कैला देवी पालीवाल


माताजी श्रीमती कैला देवी पालीवाल एक सेवानिवृत्त अध्यापिका हैं जो वर्तमान में फिरोजाबाद(उ.प्र.) में निवासरत हैं।

इन्होंने इनके स्वर्गीय पति श्री गणेषीलाल जी पालीवाल की स्मृति में स्थार्इ कन्यादान कोष की 2,50,000-(दो लाख पचास हजार मात्र) से स्थापना कर समिति के नाम पर फिक्स डिपोजिट कराकर , एफ.डी. से प्राप्त ब्याज को कन्याओं के माता-पिता द्वारा जमा कराने वाले विवाह शुल्क में आवष्यकता एवं मांग के अनुरूप समायोजित करने के लिए समिति को अधिकृत किया है।

पंचम सामूहिक विवाह सम्मेलन (2005) में माताजी ने 51,000-(रुपये इक्यावन हजार मात्र) भोजन व्यय हेतु प्रदत्त किए। साथ ही कन्याओं के लिए सम्पूर्ण वस्त्र एवं सुहाग की सामग्री प्रदत्त की।

षष्टम सामूहिक विवाह सम्मेलन (2007) में माताजी ने कन्याओं को सोने की नथ, सम्पूर्ण वस्त्र एवं सुहाग की सामग्री प्रदत्त की।

सप्तम सामूहिक विवाह सम्मेलन (2009) में माताजी ने कन्याओं को सिलार्इ मषीन एवं सम्पूर्ण वस्त्र प्रदत्त किये।

अष्टम सामूहिक विवाह सम्मेलन (2011) में माताजी ने 1,00,000-(रुपये एक लाख मात्र) भोजन व्यय हेतु प्रदत्त किए।

14 फरवरी 2013 को श्री कल्याण जी, डिग्गी, मालपुरा जिला-टोंक(राज) में आयोजित होने वाले नवम सामूहिक विवाह सम्मेलन हेतु भी माताजी ने 1,00,000-(रुपये एक लाख मात्र) भोजन व्यय हेतु प्रदत्त करने की घोषणा आठवें सामूहिक विवाह सम्मेलन में ही करके न केवल समिति बलिक सम्पूर्ण समाज को सोचने के लिए बाध्य करने वाला अनुकरणीय कार्य किया।



श्री शिवदत्त जी पालीवाल


श्री शिवदत्त जी पालीवाल स्वर्गीय पं. हेमराज जी पालीवाल, फिरोजाबाद वालो के पुत्र हैं।

इन्हांने अपने दत्तक माता-पिता स्वतंत्रता सैनानी स्व. पं. श्री रामगोपाल जी पालीवाल एवं श्रीमती अनुसुर्इया देवी पालीवाल की स्मृति में स्थार्इ कन्यादान कोष की 2,50,000-(दो लाख पचास हजार मात्र) से स्थापना कर समिति के नाम पर फिक्स डिपोजिट कराकर, एफ.डी. से प्राप्त ब्याज को कन्याओं के माता-पिता द्वारा जमा कराने वाले विवाह शुल्क में आवष्यकता एवं मांग के अनुरूप समायोजित करने के लिए समिति को अधिकृत किया है।



श्री बिजेन्द्र प्रसाद जी पालीवाल एवं श्रीमती पुष्पलता पालीवाल


श्री बिजेन्द्र प्रसाद जी का जन्म 13.06.1950 को श्री गोपी राम जी पालीवाल के यहां हुआ। इनके दादाजी श्री किषोरी लाल जी पालीवाल अपने मामा की सेवा-सुश्रुषा हेतु नजफगढ़ हवेली (दिल्ली) में लगभग 15 वर्ष पूर्व अपने मूल निवास उदयपुर कलां तह-बाह जिला-आगरा(उ.प्र.)से आये थे।

श्री बिजेन्द्र प्रसाद जी ने 2 वर्ष की बालिका पूनम पुत्री श्री विनोद कुमार जी ललियाना जिला-मेरठ को पुत्री के रूप में गोद लेकर उसे अच्छे संस्कार व उच्च षिक्षा देकर उसका शुभ विवाह श्री पवन पुत्र श्री देवकिषन निवासी पानीपत के साथ किया। इसके साथ ही 10-11 कन्याआें की शादी में अपेक्षित आर्थिक सहयोग देकर परोपकार का कार्य किया।

अपने कृषि फार्म पर कार्यरत मजदूर की बेटी की शादी का सम्पूर्ण खर्च वहन कर कन्यादान का पूण्य कमाया है।

श्री बिजेन्द्र प्रसाद जी द्वारा किए गए कर्इ अन्य परोपकारी कार्यों में से कतिपय उल्लेखनीय कार्यदान निम्नानुसार है:-

- जैसलमेर (राज) धर्मषाला में एक कमरे को निर्माण खर्च।

- दिल्ली समाज की धर्मषाला में एक कमरे को निर्माण खर्च।

- बिटड़ी (मारवाड़) राजस्थान में मंदिर के जीर्णोद्धार में 51000-रुपये का सहयोग दिया।

आपको वर्ष 2009-10 के लिए दिल्ली समाज के अध्यक्ष(प्रधान) के रूप में चुना गया और आपने अपने अध्यक्षीय कार्यकाल में सर्वाधिक 10 कमरों का निर्माण दिल्ली समाज भवन में करवाया।

अष्टम सामूहिक विवाह सम्मेलन स्थल पर समाज के अपार जनसमूह की उपसिथति में श्री बिजेन्द्र प्रसाद जी पालीवाल एवं श्रीमती पुष्पलता पालीवाल अपने आप को स्थार्इ संरक्षक भामाषाह बनने से रोक नहीं पाए और विचार संगोष्ठी के दौरान सामेला में स्थार्इ कन्यादान कोष की 1,00,000-(एक लाख मात्र) से स्थापना कर समिति के नाम पर फिक्स डिपोजिट कराकर, एफ.डी. से प्राप्त ब्याज को कन्या पक्ष के माता-पिता द्वारा जमा कराने वाले विवाह शुल्क में आवष्यकता एवं मांग के अनुरूप समायोजित करने के लिए समिति को अधिकृत किया है।/



श्री बिजेन्द्र दत्त जी पालीवाल एवं श्रीमती माधुरी देवी पालीवाल


श्री बिजेन्द्र दत्त जी का जन्म 26.11.1941 को ग्राम मेहरा जनपद आगरा (उ.प्र.) में श्री सीताराम जी पालीवाल के यहां हुआ। आप तीन भाइयों में सबसे छोटे हैं। आपने अर्थषास्त्र एवं इतिहास में स्नातकोत्तर डिग्री एवं बी.एड. की डिग्री प्राप्त कर षिक्षा विभाग मेंं सन 1972 में राजकीय सेवा प्रारंभ की व 2010 में ससम्मान सेवानिवृत्त हुए। आपका विवाह श्रीमती माधुरी देवी पालीवाल सुपुत्री श्री बाबूराम जी पालीवाल निवासी-चरखारी जिला-महोबा(उ.प्र.) से हुआ।

विवाहोपरांत कुछ समय तक संतान न होने के कारण साली की लड़की को गोद लेकर उसका लालन-पालन कर उसे सुसंस्कृत-षिक्षित-संस्कारवान बनाया तत्पष्चात पुत्री का विधिविधान से कन्यादान किया। इन्हीं पुण्यों के प्रताप व र्इष्वरीय अनुकंपा से शादी के 21 वर्ष बाद आपके दाम्पत्य जीवन में खुषी और बड़ गर्इ जब आपको पुत्ररत्न की प्रापित हुर्इ।

गौरव पालीवाल प्रारंभ से ही पढ़ार्इ में अव्वल रहा। उसने उच्च षिक्षा एम.बी.एस. देहरादून आफ टेक्नोलोजी, देहरादून से 2009 में सर्वाधिक अंक प्राप्त कर यूनिवर्सिटी टाप किया। तथा प्रथम प्रयास में गौरव का चयन बैंक में हुआ और दिल्ली में बैंक में सेवा प्रारंभ की। चूंकि गौरव विषेष योग्यता धारक था अत: बैंक सेवा रास नहीं आर्इ और वहां से त्यागपत्र देकर उच्च सेवा की तैयारी में जुट गया। भाग्य के अंक को कोर्इ नहीं मिटा सका है। गौरव भी भाग्य के अंक को नहीं मिटा पाया तथा 2.4.2010 को गौरव सभी को अलविदा कह भगवान जी की गोद में चला गया।

श्री बिजेन्द्र दत्त जी पालीवाल एवं श्रीमती माधुरी देवी पालीवाल हाल निवासी फिरोजाबाद(उ.प्र.) ने अपने पुत्र स्व. श्री गौरव पालीवाल की स्मृति में स्थार्इ वर कोष की 2,50,000-(दो लाख पचास हजार मात्र) से स्थापना कर समिति के नाम पर फिक्स डिपोजिट कराकर, एफ.डी. से प्राप्त ब्याज को वर पक्ष के माता-पिता द्वारा जमा कराने वाले विवाह शुल्क में आवष्यकता एवं मांग के अनुरूप समायोजित करने के लिए समिति को अधिकृत किया है।

अष्टम सामूहिक विवाह सम्मेलन में इन्होंने एक और अनूठी घोषणा की थी कि ऐसा होनहार बालक जो प्रोफेषनल कोर्स में प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हो तथा सामूहिक विवाह सम्मेलन में विवाह करेगा उसे एक हीरो होण्डा मोटरसाइकिल उपहार स्वरूप दी जाएगी। ऐसी घोषणा कर श्री बिजेन्द्र दत्त जी ने हर तरह से समिति से जुड़ने का वर पक्ष का मार्ग प्रसस्त किया।

14 फरवरी 2013 को श्री कल्याण जी, डिग्गी, मालपुरा जिला-टोंक(राज) में आयोजित होने वाले नवम सामूहिक विवाह सम्मेलन हेतु भी प्रत्येक वधु को सोने का एक आइटम प्रदत्त करने की घोषणा करके न केवल समिति बलिक सम्पूर्ण समाज को सोचने के लिए बाध्य करने वाला अनुकरणीय कार्य किया।



श्री भंवर लाल जी पालीवाल एवं श्रीमती कंकुदेवी पालीवाल


(स्थार्इ कन्यादान कोष सृजित करने वाले राजस्थान के प्रथम भामाषाह)

श्री भंवर लाल जी का जन्म 27.07.1936 को श्री कुंज बिहारी लाल जी पालीवाल के यहां ग्राम-सिदडि़यास जिला-भीलवाड़ा(राज) में हुआ। इनका विवाह श्रीमती कंकुदेवी पुत्री श्री घांसीलाल जी पालीवाल निवासी-फतहनगर(उदयपुर) के साथ सन 1956 में हुआ।

मोहन लाल सुखाडि़या विष्वविधालय-उदयपुर से विज्ञान संकाय से स्नातक परीक्षा उत्तीर्ण कर अपने गांव के प्रथम स्नातक उपाधिधारक बनने का गौरव हासिल किया। राजकीय सेवा में न जाकर परंपरागत जमींदारी के पेषे को ही जीविकोपार्जन हेतु अपनाया और सरसों के सीड प्रोडक्षन (प्रोसेसिंग) में अग्रणी रहे।

सन 1947 में 37 वर्ष की अल्पायु में ही आप केन्द्रीय सहकारी बैंक के निदेषक चुने गए।

सन 1980 में पंचायत समिति-सुवाणा के सरपंच निर्वाचित हुए। सन 1980 से 1992 तक निरन्तर तीन बार सरपंच निर्वाचित हुए। इसी अवधि में लगातार 20 वर्षों तक ग्राम सेवा सहकारी समिति के अध्यक्ष भी रहे।

प्रत्येक सामूहिक विवाह सम्मेलन से पूर्व एक बैठक का अनिवार्य आयोजन स्वयं के व्यय पर अपने निवास स्थल पर ही लगातार रखे जा रहे हैं। ये स्वरूचि भोज अपनी देखरेख में न सिर्फ बनवाते हैं बलिक अतिथियों को भरपूर आनंद आए इसका भी भरपूर ख्याल रखने हेतु स्वयं उपसिथत रहते हैं।

समिति के संस्थापक सदस्य एवं प्रेरणा स्त्रोत संरक्षक श्री भंवर लाल जी ने अपनी माताजी श्रीमती भगवती देवी धर्मपत्नी स्व. श्री कुंज बिहारी लाल जी पालीवाल की पुण्य स्मृति में स्थार्इ कन्यादान कोष की 1,00,000-(एक लाख मात्र) से स्थापना कर समिति के नाम पर फिक्स डिपोजिट कराकर, एफ.डी. से प्राप्त ब्याज को कन्या पक्ष के माता-पिता द्वारा जमा कराने वाले विवाह शुल्क में आवष्यकता एवं मांग के अनुरूप समायोजित करने के लिए समिति को अधिकृत किया है।



श्री सूरज प्रकाश जी पालीवाल एवं श्री सॊमेश पालीवाल


सूरज प्रकाष पालीवाल
पिता - श्री रघुवीर सिंह पालीवाल
माता जी-श्रीमती राजकुमारी
मूल निवास - नेड़ाई (जैसलमेर)
इनका जन्म - 1928 को हुआ
देवलोक गमन - 2001

1954 से 58 तक चार वर्ष नजफगढ़ नोटिफाइड ऐरिया के चेयरमेन रहे। इस दौरान नजफगढ के कच्चे गली-कूंचो को अपने प्रयासो से पक्का करवाया।

1993 से 98 तक दिल्ली की प्रथम विधानसभा के विधायक रहे। अखिल भारतीय पालीवाल ब्राह्मण संघ नई दिल्ली तथा पालीवाल समाज दिल्ली के अध्यक्ष पद को कई बार सुषोभित किया। दिल्ली समाज भवन का आज जो स्वरूप दिखाई देता है उसके नींव तथा निर्माण में इनका अविस्मरणीय योगदान रहा था। दिल्ली समाज की एकजुटता इनके अथक प्रयासों का ही सद्परिणाम है।

श्री सोमेष पालीवाल पोत्र श्री सूरज प्रकाष पालीवाल, नजफगढ़ दिल्ली जो उच्च षिक्षा प्राप्त संस्कारीक, मृदुल स्वभाव हैं उन्होने अपने दादाजी के नाम से समिति को 1 लाख रूपये की एफडी समिति के प्रतिनिधियों से प्रथम मुलाकात में ही अग्रणी रहते हुए प्रदत्त की जो उनके उदार हृदय का परिचायक है।



श्री संजय कुमार जी पालीवाल S/O स्व. श्री चंद्रशेखर पालीवाल (मूलनिवासी ग्राम उटरावली, जिला बुलंदशहर, उत्तर प्रदेश)


Smt. Agam and Shri Sanjay Paliwal, Milap Nagar, Jaipur, Rajasthan (India) Becoming 1st Donor Couple in 12th Group Mariage who showed great generosity and became exemplary benevolent & benificient social entity for our society. Who self declared and provide Fix Deposite of Rs. 1.25 Lacs (One Lac Twenty Five Thousand Only) to the Samiti(Principal amount will remain intact and interest will be used in this and the forth coming Group Marriages) honouring the social uplifting objectives of the Samiti and believing in transparancy and accountability in functioning of the Samiti.
         Samiti is realy grateful to the donor couple for their self rathered social pursuit and wishes that the God may bless them with good health in future and great wealth for self and beyond the self purpose.


श्री संजय कुमार पालीवाल S/O स्व. श्री चंद्रशेखर पालीवाल (मूलनिवासी ग्राम उटरावली, जिला बुलंदशहर, उत्तर प्रदेश) एवं श्रीमती अगम पत्नी श्री संजय कुमार पालीवाल पुत्री स्व. श्री कैलाश चंद्र पालीवाल (मूलनिवासी पांढुर्णा जिला छिंदवाड़ा, मध्य प्रदेश) वर्तमान निवासी 90, मिलाप नगर, टोंक रोड, जयपुर | श्री संजय पालीवाल राजस्थान सरकार के लेखा संवर्ग में अकाउंटेंट नियुक्त थे, साथ में प्रॉपर्टी का व्यवसाय भी संभालते थे | अपने कठोर परिश्रम से उन्होंने प्रचुर उन्नति, ख्याति व संपत्ति अर्जित की | प्रॉपर्टी व्यवसाय में पूर्ण समय देने हेतु संजय जी ने फरवरी 2013 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति(VRS) ले ली व वर्तमान में पेंशन भी प्राप्त कर रहे हैं | उनका प्रॉपर्टी व्यवसाय का कार्यालय परिसर जगतपुरा के महल रोड, अक्षय पात्र मंदिर सर्किल पर 119, बी सी 7, सेंट्रल स्पाइन योजना, मुख्य 160 फीट रोड पर है |

श्री संजय जी की माता जी श्रीमती सुशीला पालीवाल (मूलनिवासी कोटपूतली, जिला जयपुर) भी राजकीय सेवा ग्रेड 1 से सेवानिवृत्त है, श्री संजय जी के छोटे भाई श्री राजेश पालीवाल जी शासन सचिवालय में राजपत्रित अधिकारी हैं | संजय जी की माता जी व भाई राजेश जी भी मिलाप नगर जयपुर में ही मकान नंबर 102 में रहते हैं |

संजय जी के दो पुत्र हैं बड़े पुत्र हिमांशु पालीवाल उम्र 27 वर्ष जिन्होंने बीकॉम, एमबीए व सीएस इंटर कर रखा है, पूर्णतया प्रॉपर्टी व्यवसाय को संभाल रहे है | छोटे पुत्र हर्षुल पालीवाल जिन्होंने बीकॉम, एमबीए व सीए इंटर कर रखा है इनकी भी पूर्ण रुचि व्यापार में है व होटल रेस्टोरेंट के अनुभव ले रहे हैं जिससे भविष्य में इस व्यापार को कर सकें |

संजय पालीवाल जी की एक बहन श्रीमती गीतांजलि है जो पानीपत में श्री संजेश कुमार पालीवाल जी से ब्याही है |

संरक्षक भामाशाह हेतु दिए 1.25 लाख के अलावा संजय जी ने पाली में मंदिर निर्माण हेतु अति विशिष्ट सदस्यता के ₹1 Lakh पाली संस्थान में भी भिजवाए हैं |